गोखरू किडनी स्टोन के लिए फायदेमंद -स्किन के लिए फायदेमंद है गोखरू - गोक्षुरा पुरुषों के लिए - शारीरिक समस्याओं को दूर करता है - यौन शक्ति को बढ़ाता है - गोक्षुरक, त्रिकण्ट, स्वादुकण्टक, गोकण्टक, गोक्षुरक,वन शृङ्गाट, पलङकषा, श्वदंष्ट्रा, इक्षुगन्धिका, चणद्रुम;
गोखरू एक ऐसी जड़ी बूटी है जो सदियों से मानव के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद ही साबित हुआ है। ये उन जड़ी बूटियों में से एक है जो वात पित्त और कफ तीनों को नियंत्रित करने में सहायता करती है। गोखरू का फल, पत्ता और तना आयुर्वेद में औषधि के रूप में प्रयोग (gokhru ke fayde) किये जाता है। ये सिर्फ बीमारियों के लिए नहीं बल्कि यौन समस्याओं को ठीक करने में बहुत फायदेमंद साबित होता है। आइये जानते हैं गोखरू का उपयोग और गोखरू के फायदे ।
गोखरू क्या है? (What is Gokhru in Hindi?)
शायद आप इस बात से अनभिज्ञ हैं कि वर्षा ऋतु में गोखरू अधिकता से फलते-फूलते हैं। इसके पौधे जमीन पर छत्ते की तरह फैले रहते हैं। चरक-संहिता में इसका मूत्र संबंधी रोग तथा वात रोग में उपचार स्वरुप उपयोग करने का उल्लेख मिलता है।
यहां तक कि सूजन कम करने में भी गोखरू का प्रयोग किया जाता है। गोक्षुर के जड़ को दशमूल में और फल को वृष्य के रुप में प्रयोग करते है। इसके पत्ते चने के जैसे होते हैं। इसलिए संस्कृत में इसे चणद्रुम कहते हैं।
गोखरू वर्षा ऋतु में जमीन पर फैलकर बढ़ने वाला, शाखा-प्रशाखायुक्त पौधा होता है। इसके तने 1.5 मी लम्बे, और जमीन पर फैले हुए होते हैं। शाखाओं के नये भाग मुलायम होते हैं; पत्ते चने के पत्तों के समान, परन्तु आकार में कुछ बड़े होते हैं। इसके फूल पीले, छोटे, चक्राकार, कांटों से युक्त, चमकीले लगभग 0.7-2 सेमी व्यास या डाइमीटर के होते हैं।
इसके फल छोटे, गोल, चपटे, पांच कोण वाले, 2-6 कंटक युक्त व अनेक बीजी होते हैं। इसकी जड़ मुलायम रेशेदार, 10-15 सेमी लम्बी, हल्के भूरे रंग के एवं थोड़े सुगन्धित होते हैं। गोखुरू अगस्त से दिसम्बर महीने में फलते-फूलते हैं।
गोखुर के गुण अनगिनत है। जिसके कारण ही यह सेहत और रोगों दोनों के लिए औषधि के रुप में काम करता है। गोक्षुर या गोखरू वातपित्त, सूजन, दर्द को कम करने में सहायता करने के साथ-साथ, रक्त-पित्त(नाक-कान से खून बहना) से राहत दिलाने वाला, कफ दूर करने वाला, मूत्राशय संबंधी रोगों में लाभकारी, शक्तिवर्द्धक और स्वादिष्ट होता है।
गोक्षुर का बीज ठंडे तासीर का होता है। इसके सेवन से मूत्र अगर कम हो रहा है वह समस्या दूर हो जाती है। गोखुर का क्षार या रस मधुर, ठंडा तथा वात रोग में फायदेमंद होता है।
अन्य भाषाओं में गोखरू के नाम (Name of Gokshur in Various Dialects?)
गोखुरू का वानस्पतिक नाम : Tribulus terrestris Linn. (ट्रिब्युलस टेरेस्ट्रिस) Syn-Tribulus lanuginosus Linn है। गोखरू Zygophyllaceae (जाइगोफिलेसी) कुल का है।
इसके अलावा गोखरू को अंग्रेज़ी में Land caltrops (लैण्ड कैल्ट्रॉप्स) कहते हैं, लेकिन यह भारत के अन्य प्रांतों में कई नामों से जाना जाता है।
Gokhru in Different Dialects
Name of Gokhru or Gokshura in Sanskrit - गोक्षुरक, त्रिकण्ट, स्वादुकण्टक, गोकण्टक, गोक्षुरक,वन शृङ्गाट, पलङकषा, श्वदंष्ट्रा, इक्षुगन्धिका, चणद्रुम;
- Hindi - गोखरू, छोटा गोखरू, हाथीचिकार;
- Oriya - गाखुरा (Gokhura), गोक्षरा (Gokshra);
- Urdu - गोखरू (Gokharu);
- Kannada - नेग्गिलुमुल्लु (Negillumullu), नेरूंजी (Nerunji);
- Gujrati - बेटागोखरू (Betagokharu), नहानगोखरू (Nahanagokharu);
- Tamil - नेरिंजिल (Nerinjil), नेरींजीकाई (Nerinjeekai);
- Telugu - पाल्लैरु (Palleru), चिरूपाल्लैरू (Chirupalleru), चिरूपल्लेख (Cherupallekh);
- Bengali - गोखरू (Gokharu), गोखुरी (Gokhuri);
- Punjabi - बखरा (Bakhra), लोटक (Lotak), भखर (Bhakhar);
- Marathi - शराट्टे (Sharatte), काटे गोखरू (Kate gokharu), लहानगोखरू (Lahangokharu), सरला ज्ञरोत्ते (Sarla gyarote);
- Malayalam - नेरिंजिल (Neringil)।
- English - डेविल्स् थोर्न (Villain's thistle), गोट हैड (Goat head), पंक्चर वाईन (Cut plant), स्मॉल कैल्ट्रॉप्स (Little caltrops);
- Arbi - बास्तीताज (Bastitaj), खसक (Khasak), मसक (Masak);
- Persian - खारेखसक (Khare khasak)।
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